हादसे मेरे शहर में

हादसे मेरे शहर में

इस शहर के बारे में कलमकार मुकेश बिस्सा अपने विचार इस कविता में प्रकट कर रहे हैं।

अकेला हूँ ज़िन्दगी के सफर में
कितने सपने हैं मेरी नजर में।

आते है सलामती पाने को
कुछ हादसे हैं उनकी ख़बर में।

सोया है तन्हा सागर अभी
देखो हैं राज़ इसकी लहर में।

किसी से दुनिया ने की वफा
क्यों है लोग इसके असर में।

यकीन के लायक नही कोई
शक सा हैं हर नजर में।

ख़फा-ख़फा है लोग यहां
क्या हादसे हैं मेरे शहर में।

~ मुकेश बिस्सा

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