मुझ पर निशाना

जीवन की कुछ सच्चाइयों को अपनी पंक्तियों के माध्यम से कलमकार मनोज कुमार “मनु” ने इस कविता में प्रस्तुत की हैं।

मुझ पर निशाना साधने से पहले संभल।
तरकश तो तेरा भी तीरों से खाली है।।

ना मैं बेवफा था ना ही तेरा गुनहगार हूँ।
जो भी हुआ वो बस वक्त की बदहाली है।।

ये दुनिया जिसने तुझे मोहरा बना रखा है।
सच तेरी जिन्दगी शतरंज की बवाली है।।

और मैं अँधेरा ही सही पर तेरे साथ हूँ।
ये रंगिनियाँ, ये रोशनी यकीनन जाली है।।

जो गुनगुनाकर मेरी नज़्म मुस्कुराया करते थे।
हालात ए रुहानी उनके आजकल ज़रा माली है।।

वो हर किसी से मिलने पर बस बददुआ ही देगा।
उसने खूबसूरत जहां से इतनी दौलत कमा ली है।।

– मनोज कुमार सामरिया “मनु”


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