शराब की मज़बूरी

शराब की मज़बूरी

और देशों की बर्बादी से हम कुछ नया ना सीखेंगे,
खबर आई है एक अजीब कि मदिरालय रोशन होंगे।
इतने दिनों की मेहनत पर अब पानी फिरने वाला है,
लगता है कोरोना का खेल अब तगड़ा होने वाला है।
फिर से भीड़ लगेगी अब तो मदिरा की दुकानों में,
सोशल डिस्टन्सिंग का बनेगा तमाशा अब बीच बाज़ारो में।
अब तक जो थे बचे हुए कहीं वो भी अब फँस जाएँ ना,
कहीं ये सारे ग्रीन जोन अब रेड जोन बन जाएँ ना।
स्थिति इतनी नहीं है सुधरी कि ये सब होना जरूरी है,
पता नहीं शराब खरीदना या शराब बेचना मजबूरी है।
बड़ा ख़राब वक़्त है आया सोच समझ कर चलना होगा,
कोई बचाने नहीं आएगा बचाव स्वयं करना होगा।

~ शंकर फ़र्रुखाबादी

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