शराबी की कथा

शराबी की कथा

लाकडाउन के चलते मंदिर बंद
मस्जिद बद गुरुद्वारे बंद
बंद विधालय और महाविद्यालय
लाकडाउन खुला तो,
खुले तो केवल मदिरालय

इस ढील के दौरान देखा अजब़ नजारा
शराब के ठेकों पर भीड़ थी,
शराब की तलब मे
शराबी फिर रहा था मारामारा
शराब के लिए पैसा है,
मगर ढूंढता सरकारी सहारा
नशे मे होता शेर,
सूफी हालत मे होवें बेचारा

नशे की होती बुरी आदत
सभ्य समाज को करती आहत
पलभर की राहत हेतु बनाए चाहत
पियक्कड़ों को सदा मिलती लानत

शराब के नशे मे ऐसा डूबता
बीवी बच्चे सबको भूलता
सिर्फ नशे मे रहता झूमता
आवारगी मे इधर उधर घूमता

सदा नाली मे पडा रहता
नाली ही उसका घर चौबारा
हे नशेड़ी शराब तज़, संभल जा,
ये जिंदगी मिले न दोबारा

~ अशोक शर्मा वशिष्ठ

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