वो ईफ्तार और शेहरी
वो धूप और दुपहरी
सब भूल गये
मदद को निकल पडे़
अम्मी की बनाई रोटीया
आचार और पानी
देख उसे भूखे को होती है परेशानी
अल्लाह ने दिया नही ज्यादा उसे
कैसे वो करे किसी पर मेहरबानी
जो रूखी सूखी मिली
हर भूखे की भूख मिटी
मत फैलाओ दुनिया वालो
मत करो देश से गद्दारी
कुछ लोगो के खातिर
पूरे कौम की हो रही बदनामी
भूखे की कोई जात नही
उसको मजहब से क्या यारी
जो दे देगा खाना उसे
वही ईश्वर का सच्चा अधिकारी
~ धीरज गुप्ता