बड़े-बूढ़ों की छत्रछाया में रहना सदैव हितकारी होता है। इस कथन को डॉ. कन्हैयालाल गुप्त ‘किशन’ ने अपनी कविता ‘बरगद और बुजुर्ग’ और बखूबी बताया है, आप भी पढ़ें।
बुजुर्ग व्यक्ति भी बरगद समान ही होता है,
जैसे बरगद की छाया घनेरी होती है,
वैसे ही बुजुर्ग व्यक्ति का आश्रय है,
बरगद कई पीढ़ियों का अनुभव रखता है,
बुजुर्ग व्यक्ति के पास तो अनुभवों का खजाना है,
बरगद आँधी तूफानों में भी डटा रहता है,
वैसे ही बुजुर्ग व्यक्ति भी विषमताओं से डरता नहीं है,
बरगद पर बहुत से जीव, जन्तु, पक्षी आश्रय पाते हैं,
बुजुर्ग व्यक्ति के पास भी सबका गुजारा होता है,
बरगद की जड़ें काफी गहरी होती है,
वैसे ही बुजुर्ग व्यक्ति भी दूरदर्शी होता है.~ डॉ. कन्हैयालाल गुप्त ‘किशन’