अफ़साना बन गया

अफ़साना बन गया

कभी-कभी छोटी-छोटी बातें अफसाना बन जाती है। कलमकार सुरेन्द्र गोयल जी भी ऐसा मानते हैं, आइए उनकी कलम से लिखीं चंद पंक्तियाँ पढें।

दर्द-ए-दिल मेरा अफ़साना बन गया
मैकदे में आना मेरा अफ़साना बन गया।

जाम अभी दिया ही था साक़ी ने,
उसे लबों तक लाना मेरा अफ़साना बन गया।

दिलबर मेरा जो रूठा हुआ था मुझसे,
उसको मनाना मेरा अफ़साना बन गया।

बड़े नाज़ों से वो आये बज़्म में मेरी,
सिजदे में आना मेरा अफ़साना बन गया।

सारे ज़माने ने देखा नूर-ए-कृष्णा,
नज़र उठाना मेरा अफ़साना बन गया।

~ सुरेन्द्र गोयल

Post Code: #SwaRachit383A

Leave a Reply


The reCAPTCHA verification period has expired. Please reload the page.