जब हम गर्मी की तपन से खीझ उठते हैं तो बारिश का माहौल बनाते काले बादलों का बेसब्री से इंतजार रहता है। काले बादल आएंगे- यह आश्वासन कवि मुकेश अमन अपनी कविता में दे रहे हैं।
आसमान में काले बादल,
मीठा जल भर लायेंगे।
अमन धरा की चुनर को ये,
हरा-भरा कर जायेंगें।
जन-मन की सब आशाएं फिर,
रही अधूरी, होगी पूरी।
मंगल-मंगल हरषेगा मन,
सपनों में नही होगी दूरी।
जेठ बीतते, आषाढ़ी में,
उमड़-घुमड़ घन आयेंगें।
आसमान में काले बादल,
मीठा जल भर लायेंगे।
झरने झर-झर अमृत बनकर,
कल-कल छल-छल नदियां होगी।
फूल, कली, तितली से रोशन,
“अमन” अलि की बगिया होगी।नदी, पहाड़, पेड़ो, झरनों को,
नव जीवन वो दे जायेंगें।
आसमान में काले बादल,
मीठा जल भर लायेंगे।
टिपटिप-टिपटिप तरपर-तरपर,
बरसेगा मेह झिरमिर-झिरमिर।
कोयल, मोर, पपीहे, दादुर,
नाचेंगे, गायेंगे जी भर।
खेतों की मेड़ों पर जमकर,
घन अमृत बरसायेंगें।
आसमान में काले बादल,
मीठा जल भर लायेंगे।
~ मुकेश बोहरा ‘अमन’
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