माँ शक्ति दे, माँ भक्ति दे,
माँ मन में अनुराग दे, माँ प्रीति ऐसी जगा दे।
आया है जो संकट, उसे टाल दे,
निकाल दे, माँ देश को खुशहाल दें।
हे अनंता, जग तारन माँ अपनी दया का प्यार दे।
हमें शुद्धि दे, हमें बुद्धि दे, हमें तू दया का सार दे।
हम कर रहे तेरा वंदन माँ, अपनी कृपा और प्यार दे।
माँ हम निहत्थे और असहाय, अपनी दया से उबार दे।
तू आदि जननी, जगतारण माँ
हमें प्यार और मनुहार दे।
तेरी भक्ति में हम नित बढे़, ऐसा हमें मंत्रोच्चारण दे।
विश्व के द्वार है आयी विपदा,
माँ हमें अब उबार ले।
हम तेरे जन, विवश है मन,
वंदना स्वीकार ले।
अब राह सूझती नहीं, मन है बड़ा बेचैन,
तू भक्ति दे, तू शक्ति दे, मन को मिले अब चैन।
~ डॉ. कन्हैयालाल गुप्त ‘किशन’
Post Code: #SWARACHIT528I