होली का त्यौहार मिल-जुलकर, मन की कड़वाहट मिटाकर मनान चाहिए। कलमकारों ने अपनी कविता के माध्यम से सभी देशवासियों को होली की शुभकामनाएँ दी हैं।
१) अपनेपन की पिचकारी ~ नीरज त्यागी
अपनेपन के रंगों से मन की पिचकारी भर दो।
अबके होली में तुम सबको एक रंग में भर दो।।
ना हिन्दू हो,ना कोई मुस्लिम,एक रंग में सबको रंग दो।
इस होली में तुम सबको एक ही मजहब में रंग दो।।
एक बच्चे सा मन हो सबका,ना मन मे कोई भेदभाव हो।
इस होली में सबको सबसे गले लगाने का एक भाव हो।।
ना नीला,ना हरा गुलाबी प्यार भरे शब्दो का रंग बनाओ।
मिट्ठी बातों से फिर एक दूजे के गमो को अपना बनाओ।।
आओ इस होली पर पूरे भारत को एक रंग से भर दे।
प्रण करे हम सब ऐसा,सबका मजहब भारतवासी कर दे।।
२) हेत-प्रेम प्यार से होली मनाएं ~ सूबेदार रावत गर्ग उण्डू ‘राज’
सभी हेत-प्रेम प्यार से होली मनाएं ।
बुराइयों को छोड़ अच्छाई अपनाएं ।।
अच्छाईयों को अपना खुशियों को बांट जाना ।
होली के रंग में रंग जाना, रूठे हुए को मना जाना ।।
बिछड़े हुए को मिला जाना, दुखों को बांट जाना ।
होली के रंग में रंग जाना, पकवानों को साथ लाना ।।
गरीबोँ को साथ खिलाना, तोहफे को बांट जाना ।
होली के रंग में रंग जाना, दुआओं को संग लाना ।।
‘रावत’ बड़ों से आशीर्वाद ले, हेत-प्रेम से गले लगाना ।
होली के रंग में रंग जाना, भाईचारा से त्योहार मनाना ।।
३) होली की बेला ~ अमन आनंद
होली की हर्षित बेला पर,
खुशियां मिलें अपार।
यश, कीर्ति, सम्मान मिले,
और बढ़े सत्कार।।
शुभ-शुभ रहे हर दिन हर पल,
शुभ-शुभ रहे विचार।
उत्साह. बढ़े चित चेतन में,
निर्मल रहे आचार।।
सफलतायें नित नयी मिलें,
बधाई बारम्बार।
मंगलमय हो काज आपके,
सुखी रहे परिवार।।