भारत देश की शान है, त्योहारों पर अभिमान है।
संस्कृति हमारी सर्वोच्च रहे, यही तो एक पहचान है।
इस देश में देवी पूज्य रहें, और देवों का सम्मान है।
नव दिन की इस नवरात्रि में, कन्या ही पूज्य-मान है।
सभी धूम से इसे मनाते हैं, नव देवी को सब बुलाते हैं।
कलकत्ता से ये चली प्रथा, पूरे देश में ही विराजमान हैं।।
अब बात करें सच्चाई की, यही सबसे बडा व्यवधान है।
बस नव दिन कन्या पूज्य रहें, बाकी तो बस अपमान है।।
हर रोज़ ही होता रेप कहीं, या पेट में जाती जान है।
ये दुखद दशा उस कन्या की, जो नवरात्रि की शान है।।
धर्म संस्कृति करने वाले, अंदर से न कोई इंसान है।
कैसी है पूजा देवी की, जहां औरत का नहीं सम्मान है।।
औरत से ही बनी इस सृष्टि में, कितनी इज़्ज़त और मान है।
इस दशा को देख के लगता है, किस बात का इसे अभिमान है।।
~ साक्षी सांकृत्यायन
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