बच्चे मन के सच्चे- यह कहावत बिल्कल सही है। बच्चों के हृदय निर्मल, निश्छल और मासूम होते हैं, कवि मुकेश अमन से उनकी मासूमियत के बारे में और अधिक जानें।
बच्चों के मन के,
भीतर क्या
किसने देखा, किसने जाना।सब कहते है,
बच्चे भगवन,
तुमने माना, हमने माना।मैं कहता हूं, बात नई कोई।
जिसमें नही है, फेर कहीं कोई।बच्चे है, फूलों के पौधे,
जिसकी खुशबू सब महकाती।वें मुस्कानें, यूं ही सबको,
है जीवन का सुख दे जाती।सबको प्यारे,
लगते बच्चे,
और लगेगा अपना,
अपने मन का माना।~ मुकेश बोहरा ‘अमन’
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