अच्छी है रस्म-ओ-रह रंगों की
गुल की गुलाल की उमंगों की
हर सम्त है बज़्म-ए-तरब
जैसे गूँज हो नए तरंगों की
यार अग़्यार की टोली में
सदा है मुतरिब के आहंगो की
घोल दे फ़ज़ा में रंग-ए-उल्फ़त
ये साख है उड़ते गुलालों की
अच्छी है रस्म-ओ-रह रंगों की
गुल की गुलाल की उमंगों की
~ रज़ा इलाही