सबको करना चाहिए, सबका नित सहयोग।
अपनी संस्कृति सभ्यता, कभी न भूलें लोग।।
मानव गर करता रहे, मानव का सहयोग।
भाग खड़े हों आपसी, सामाजिक सब रोग।।
प्रेम दया सहयोग है, मानवता का मूल।
चकाचौंध में उलझकर, कभी न इनको भूल।।
सारा विश्व माँग रहा, आज महा सहयोग।
मिलकर करके सामना, दूर करें यह रोग।।
एक दूसरे का सभी, करो सदा क्षसहयोग।
पता नहीं किस रास्ते, बन जाये संजोग।।
~ रूपेन्द्र गौर