करोना और हालात

हर तरफ आदमी का रोना है
हम पे हावी अभी कोरोना है

ज़िन्दगी के सफ़ेद धागों में
मोतियां सब्र की पिरोना है

फ़िक्र उनकी भी कीजिए थोड़ा
जिनका फुटपाथ ही बिछौना है

इतने आंसू बहा दिए हम ने
खुश्क आंखों का कोना कोना है।

लोग खामोश और सड़क सुनसान
हाए मंज़र बड़ा डरोना है

क्या हुआ तुझ को वादिए इटली
तूने बोला था यह खिलौना है

इसको हल्के में तुम अगर लोगे
तो वबा का शिकार होना है

ग़र्क़ हम ने तमाम मर्ज़ किए
आओ इस मर्ज़ को डुबोना है

है इलाजों में एक इलाज भी ये
हाथ को बार बार धोना है

आंसूओं से लिखो ग़ज़ल इरफान
आज जज़्बात को सिमोना है

~ इरफान आब्दी मांटवी


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