कोरोना का आपातकाल

कोरोना का आपातकाल

घंटियां
ख़तरे की
बज रहीं।

योजनाएं
हैंगरों में
हैं टंगी।

आपदाएं
भूख की
हैं जगी।

मातम
की अर्थियां
सज रही।

चल दिए
ओढ़ चादर
बेबसी की।

गालियां दो
और रोटी
जग हंसी की।

कुर्सियां
हमको
तज रही हैं।

~ अनिल अयान