क्या हमने कभी सोचा था,
ऐसी हो जाएगी संसार,
जान बचाने के प्रयास में,
बंद होना होगा इस बार
साबित करने का वक्त है ऐसा,
कितनी देशभक्ति की खुमार,
कुछ भी नहीं करना है मानव,
रहना है परिवार के साथ
थोड़ी तो उनका भी सोचो,
छोड़ अपना घर -परिवार,
जान हथेली पर लेकर भी,
करते रहते हैं उपचार
पुलिसकर्मी की गलती क्या है,
सड़क पर उतरे हैं दिन-रात,
लेना पड़ता डंडा हाथ में,
गलत होती अपनी व्यवहार
देश दुनिया की ख़बर बताने,
मिडियाकर्मी पुरा तैयार,
जिससे हमें पता चले,
मचा दुनिया में कैसा हाहाकार
सफाईकर्मी घर-घर आकर,
कचरा लेकर जाते साथ,
जिससे हम रह सकें चैन से,
अपने परिवारों के साथ
संकल्प हमें भी लेना होगा,
दें पुरा सरकार का साथ,
कुछ भी नहीं करना है मानव,
रहना है परिवार के साथ।
~ मनीषा झा