कोरोना- लॉक डाउन का प्रभाव

कोरोना- लॉक डाउन का प्रभाव

आज प्रभात
पत्नी बोली एक बात
हे आर्यपुत्र, कुल भूषण
मेरी माँग के आभूषण
लॉक डाउन का प्रभाव
मन्द हो गया है,
मास्क पहनकर जाने का
प्रबंध हो गया है।
रसोई में रखे आटा दाल मसाले
सब के सब हो गए हैं खाली,
आज पड़ोसन के घर से भरवाई थी
शक्कर की एक छोटी प्याली।
कल लंच में बेटे ने इडली
और डिनर में बेटी ने डोसा
खाने का प्रस्ताव रख दिया है,
उनकी जिद ने मुझे आपसे बोलने
को मजबूर कर दिया है।
सो हे मेरे जीवन के आधार!
प्राणाधार!!!
रसोई का अति आवश्यक सामान ले आओ,
बिना देर किए किराना बाजार चले जाओ।
सुनते सुनते पत्नी के अनअपेक्षित वचन,
हमने आरम्भ किये अपने आध्यात्मिक प्रवचन।
दार्शनिक अंदाज में हमने कहा ओहहो प्रिये!!!
लगता है तुम सूचनाओं से अद्यतन नहीं हो,
गृह कार्यो से तनिक भी फुर्सत में नहीं हो।
देश विदेश के समाचार पत्रों ने बताया है,
अठाईस अप्रैल को पृथ्वी होगी नष्ट यह जताया है।
एक उल्का पिंड आकाश मार्ग से आएगा,
धरती से टकरायेगा, सब भस्म हो जाएगा।
सुनते-सुनते बीबी तिलमिला गयी
शब्दों की अग्नि से बिलबिला गयी
बोली ओ नालन्दा के प्रोफेसर,
अनवांटेड काले शनिचर
नकल से पास हुए मास्टर,
दीवार से उखड़े हुए प्लास्टर,
कौआ के मुख से छूटे हुए ग्रास,
बाबा दामदेव के नकली च्यवनप्राश
तुम जैसे ही धर्म भीरुओं से
भारत का इंसान डर रहा है,
कोरोना से नहीं,
तुम्हारी इसी सोच से मर है..

~ डॉ. शशिवल्लभ शर्मा

Leave a Reply


The reCAPTCHA verification period has expired. Please reload the page.