कोरोना वाइरस- अभिषेक भारद्वाज की ४ कविताएं

कोरोना वाइरस- अभिषेक भारद्वाज की ४ कविताएं

वर्ष २०२० के आरंभ से ही विश्व कोरोना वाइरस के संकट से जूझ रहा है, इसी मुद्दे पर कलमकार अभिषेक भारद्वाज अपने शब्दों के माध्यम से कुछ बातें बता रहे हैं।

१. नमस्ते करो

करना है तो करो नमस्ते,
शेक हैंड मत “करोना”
खाना में शाकाहार करो,
मांसाहार मत “करोना”
रोज करो तुलसी का सेवन,
धूम्रपान मत “करोना”
नीम गिलोय का घूंट भरो,
मदिरा पान मत “करोना”
देशी भोजन रोज करो,
फ़ास्ट फ़ूड मत “करोना”
हाथ साफ दस बार करो,
कहीं गंदगी मत “करोना”
अग्नि संस्कार करो शव का,
लाश दफन मत “करोना”

२. कोरोना

उन्होंने बोला लगाना है हमें गले, जोर से लगोना
हमने भी कह दिया, दूर रहो हमसे हुआ है कोरोना

ना है इसका कोई इलाज, बस बनाये रखे सबसे दूरिया
दुआ करना इतनी कि बस हुआ हो किसीको तो हो जाये वो बढ़िया

ये कोरोना का कहर कुछ यु फैला है, मिलाना हो हाथ तो डर सी आ गयी
और सुक्रिया ये कोरोना का भी जो आने से हमारी संस्कृति नमस्ते वाली आ गयी

डरो ना इस चाइनीस कोरोना से, रखिये मास्क और सेनीटाइजर
यकीन मानिये ना आएगा पास मे ये वायरस का कहर

३. संभल के रह

इधर नहीं जाना बेटे उधर नहीं जाना
सुबह नहीं जाना दोपहर नहीं जाना

बच के रह संभल के रह बेटे
चारों ओर फैला है अब्र-ए-कोरोना

गर खाँसता हुआ आया ग़लती से भी
तो बेटे घर से बाहर होगा तेरा बिछौना

अब तो माशूका से गले मिले ही अरसा हो चला
नज़दीक भटकने न दे, बोले थोड़ा दूर तुम रहो ना

एक यार ही हैं अपने जो भेदभाव नहीं करते
चलने दे दारू, चलने दे मुर्गा, चलने दे चखना

४. कोरोना ने मचाई तबाही

वो आया दूर दराज से मचा रखी है तबाही,
सावधानी रखो वक़्त से समझ लो मेरे भाई,

कही अब मलेरिया का कही कोरोना का हाहाकार है,
बच के रहना तुम सब साथी अगर जान से तुम्हे प्यार है,

इसका ना कोई उपचार है परहेज करो तो ही नईया पार है,
लग जाए तो दिखे ये यमदूत सा अवतार है,

शुरुआत होती खासी से फिर चढता बुखार है,
रोकना है इसे तो एक डेटोल ही इसका हथियार है,

हाथ मिलाए दूर से ना जाए भीड मे वक़्त पे हाथ धोवे,
बचाओ रखोगे तो ही नयी पीढी की नीव सजोवे,

ध्यान रखे अपना और स्वस्थ रहे।
कपडे रोज बदले।।

~ अभिषेक भारद्वाज ‘अभि’ (सहरसा, बिहार)
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