संपूर्ण मानवता के अस्तित्व पर खतरा है,
प्रकृति के साथ छेड़-छाड़ भी तो तगड़ा है।
हे मानव! अब घर बैठे कुछ दिन विराम करे,
स्वच्छता के लिए लापरवाही पर लगाम करे।
पर्यावरण धूल और धूँआ से मुक्त हो जाये,
भागदौड़ भड़ी जिंदगी में रिश्ते ताजा हो जाये।
सहयोग करे गरीब की जो बदहवास पड़े हैं,
इन संकटों में समाज की नींव बनकर डटे रहे।
विपदा की घड़ी में सब मानस एकजुट हो जाये,
कुछ दिन घरों में रहकर महामारी को मात दे जाये।
~ बिभा आनंद
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