१. कुंडलिया छंद- कोरोना भी कह रहा
कोरोना भी कह रहा, बनो तुम समझदार।
~ नवल किशोर शर्मा ‘नवल’ (१७ मार्च २०२०)
हाथ मिलाना छोड़कर, करो सब नमस्कार।
करो सब नमस्कार, रहोगे स्वस्थ सदा तुम।
छोड़ो खाना मांस, कोरोना भगे दबा दुम।
कहे ‘नवल’ कविराय, हाथ पैरों को धोना।
रखना सबकुछ साफ, डरेगा खुद कोरोना।।
२. दोहा छंद- कोरोना की मार
कोरोना की मार से, बचा कहाँ संसार।
दशों दिशाओं में मचा, देखो हाहाकार।।चेले निज घर बैठकर, मना रहे हैं मौज।
गुरुवर शिक्षा दे गये, उठा ग्रंथ कन्नौज।।अपनी अपनी दे रहे, लोग मुफ्त में राय।
कोरोना के नाम पर,जी भर पीते चाय।।जनता कर्फ़्यू को लगा, सोचे सेवक आज।
लोग सुरक्षित घर रहें, कोरोना का राज।।छूने खाने में रखो, अब थोड़ा परहेज।
~ डॉ. राजेश पुरोहित (२२ मार्च २०२०)
सभी काम तुम छोड़कर, सो जाओ सुख-सेज।।
३. विचार- खुद कैद होने को मजबूर
सोंचियें कोरोना का कैसा है कहर
खुद कैद होने को मजबूर है बशर ।
रुक गई है सारी रौनकें, चहल-पहल
वीरान हुआ है आज शहर दर शहर ।
किसकी खता थी भुगत कौन रहा
किसने घोला है फिज़ाओं में ज़हर ।
आईये हम मिलकर लड़े इस खतरे से
होगी हमारी कोशिशों का बड़ा असर~ अजय प्रसाद (२२ मार्च २०२०)
४. व्यंग्य– कनिका और कोरोना
अमीर “कोरोना” की लहर है
“कनिका कपूर” की कहर है
बस, अंतर इतना है केवल!
एक जानलेवा “वायरस” है
और एक बकलोल “लड़की” हैऐसे, समझिए… जैसे-
~ इमरान सम्भलशाही (२२ मार्च २०२०)
झोपड़ियों में कुछ “कबूतरखानें” है
बगलों में कुछेक “रोशनदानें” हैं
ऐसे ही, अंतर केवल इतना है कि
एक में गरीब की “सांसत” है
और एक में जहरीली खिड़की है
५. लघुकथा- समाज व दुनिया से न छिपाए कोरोना वायरस
वीरसेन पिछले रविवार को स्टेशन से बस में सफर कर रहा था वह सब से घुल मिल गया क्योंकि वह सबसे हंस हंस के बात करता था और वह बहुत ही मजाकिया किस्म का आदमी था। बस में सफर कर रहे सभी यात्रियों से वह जल्द ही घुलमिल गया। वीरसेन अपने घर पहुंच चुका था। इधर जो यात्री वीरसेन के सम्पर्क में आ चुके थे वह सबके सब बीमार पड़ चुके थे। वीरसेन के घर वालों ने वीरसेन के घर आने की सूचना गुप्त रख ली। पुलिस ने जब पूछताछ की तब भी यही जबाब दिया कि वीरसेन तो दुबई में ही है। देखते ही देखते कोरोना वायरस उन सबको अपनी चपेट में लिया जा रहा था जो लोग वीरसेन के सम्पर्क में थे।
इधर जो लोग बस में वीरसेन के साथ सफर कर रहे थे। उनके साथ और लोगों का जब सम्पर्क हुआ तो वो भी कोरोना ग्रस्त हो गए। अब तो समस्या बड़ी गम्भीर होती जा रही थी। कोरोना वायरस प्रति व्यक्ति फैलता ही जा रहा था। अनेक जिंदगियां कोरोना की चपेट में आ गयी थी। वीरसेन ने न ही कोई सावधानी बरती न ही इलाज के लिए अस्पताल में गया परन्तु जब हालात जब गम्भीर होते जा रहे थे। तब निजी अस्पताल में जांच से यह पता चला कि वीरसेन तो काफी दिनों से कोरोना ग्रस्त है।
अगर वीरसेन और उसके परिवारजन समय रहते समाज और दुनिया को यह सच्चाई बता देते हो सकता कि अनेक जिंदगियां कोरोना से ग्रस्त न होती। परन्तु सच्चाई कब तक छिप सकती। तरह दिन के बाद वीरसेन कोरोना वायरस के चलते चल बसा। उसके सम्पर्क में आने वाले सभी सत्ताईस लोग भी कोरोना पॉजिटिव पाए गए। अगर वीरसेन ने कुछेक सावधानियों को अपनाया था तो स्वयं के साथ-साथ दूसरों को भी बचा सकता था।
सार– कोई भी चीज चाहे वह अच्छी या बुरी हो समाज व देश से छुपानी नहीं चाहिए क्योंकि कुछ चीज तरह आग की तरह फैलती है। जैसे आज का कोरोना वायरस। सतर्क रहें सुरक्षित रहे, दूसरों को भी सुरक्षित रखें। कोरोना संक्रमित लोग, दूसरों के सम्पर्क में न आए।
लेखक: राज शर्मा, आनी कुल्लू – हिमाचल प्रदेश
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