यूं तो देखे थे सभी, इस संसार में महामारी बहुत
हर दौर में दौरों का गुज़र है, मौत की सवारी बहुत
हैजा प्लेग आदि सीमित रहे है, किसी भी मुल्क में
कोरोना फैला सारे जगत में, मुश्किलें हमारी बहुत
नहीं दवा है इस सितम की, ख़ुद रहो महफूज़ तुम
जो ज़रा लापरवा हुआ तो, रह जायेगी लाचारी बहुत
घर से हम फुटपाथ तक, सफाई को नियम बनाएं
कोई ज़िन्दगी लुट ना जाए ,है सबकी ज़िम्मेदारी बहुत
ये शहर झुलस न जाये, उसकी भी हो फिक्र हमें
दान हो, दुआ हो, अब हर शख्स की है फ़र्ज़दारी बहुत
मुल्क के पीएम हमारे, है मुल्क की फिक्र में डूबे हुए
सब भ्रातागण सुखी रहें व मां भी ना हो बेचारी बहुत
युद्ध के इस उद्घोष में, हैं डटे कुछ वीर भी
जीतना है इस जंग को, बस चाहिए समझदारी बहुत
एक दिन हम मुक्त होंगे, कोरोना के इस जाल से
फिर मानेगा जश्न देखना, हम वतन में यारी बहुत
हम सभी का कर्तव्य है यारों, जंग में न मुंह मोड़ ले
देख लो, ज़रा उन सरहदों में, जो जवान डटे हुए
हर चकित्सक भी लगा है , अपने देश के उत्थान में
हर किसी के हेल्थ खातिर, अपने परिवार से हटे हुए
दूध वाले दूध देते और अखबार वाले अख़बार दिए
मुल्क की फिकर में ख़ुद भी डूबे, है घर से कटे हुए
हर नागरिक जब लॉक डाउन से,अपने घरों में कैद है
उन पलों को देख लो, पुलिस सेवा में है लगे हुए
मीडिया बंधुओं को देखो, दिन रात ख़बरों में है लगे
अपने चमन में हो जुदा, ऐशो आराम से हटे हुए
हर प्रदेश के मेरे मुखिया, फिक्र में हैं पागल बने
मेरी चिंता में हर समय वो, पागलों सा मिटे हुए
आओ मिल अपना हाथ धोएं, दिन में कुछ पांच बार
सेनेटाइजार को रख लें जल्दी, मास्क को खरीद लें
हर कोई समीपता भूलकर, दूर से ही बात करो
सबकी बातों को दे खुशी हम, उनसे ही उम्मीद लें
बस जान लो शैतान कोरोना, है नहीं मौला मेरा
तुम दिवाली बांट आओ, तुमसे कोई बस ईद लें
एक दिन हम मुक्त होंगे, कोरोना के भ्रम जाल से
हंस पड़ेंगे मिल हम देशवासी, चैन की बस नींद लें
~ इमरान सम्भलशाही