कैसी अबकी साल है
ये कोरोना काल है
कैसे करे सामना
न हथियार न ढाल है
दुनिया का जो हाल है
ये कोरोना जाल है
बच गए तो काल (कल) है
नहीं तो पका काल है
हम डाल डाल है
ये तो पात पात है
किस कोने में छुपे हम
पूरी दुनियां इसका ताल है
देखो कैसी चाल है
ये पल पल माला माल है
दुनियां भर में आज इसकी
गल रही दाल है
जोन हरा नारंगी होगा
और धीरे धीरे लाल है
पास आ रहा ये धीरे धीरे
अब बचना बाल बाल है
~ विक्रम सिंह कुचीपला