चाइना तेरे कोरोना ने,
ये क्या दहशत फैलाई है।
याद रख परास्त करने की,
हमने भी कसमें खाई है।।
तेरे कोरोना सा इस जग में,
दूजा कोई शैतान नहीं ।
हम ठोकर मार पछाड़ेंगे,
रहेगा नामो निशान नहीं।
इस वायरस की जड़ें हिलाने हमने फौजें लगाई है,
याद रख परास्त करने की हमने भी कसमें खाई है।।
पुलिस रक्षा पर निकली है,
डॉक्टर तीर चलाने को।
हर नर्स के हाथ में चाकू है,
वायरस पर छुरी चलाने को।
कमर कसी है वीरों ने संकट पर नज़र बिछाई है,
याद रख परास्त करने की हमने भी कसमें खाई है।।
यह भीड़ भडाका भागेगा,
हम दूरी सही बनाएंगे।
यह छींक सांस से फैलेगा,
हम मास्क नहीं हटाएंगे।
हम बीस मिनट के अंतराल में करते हाथ धुलाई है,
याद रख परास्त करने की हमने भी कसमें खाई है।।
मोदी जी का है संदेश,
समाजिक दूरी है विशेष।
हाथ धुलाई और सफाई,
घर में हो या फिर विदेश।
लक्ष्मण रेखा ध्यान में रख कर करनी नेक कमाई है,
याद रख परास्त करने की हमने भी कसमें खाई है।।
याद रखो जो बने है नियम,
पालन उनका करना है।
अपने कार्य के प्रति हमें,
सदा ही तत्पर रहना है।।
जो भी ये कुछ बात कही है, इसमें सबकी भलाई है,
याद रख परास्त करने की हमने भी कसमें खाई है।।
रमेश बैठा था बिना काम के,
ख्याल आया कुछ लिख पाऊं।
सूने पन के इस माहौल में,
बैठा बैठा दिल बहलाऊं।
टूटे फूटे शब्द जोड़ कर कविता आज बनाई है,
याद रख परास्त करने की हमने भी कसमें खाई है।।
– रमेश चंद शर्मा