करें हम वन्दना तेरी
हे कोरोना योद्धा।
दया धर्म परोपकार
समदृष्टि से काम करते
कोरोना जग से मिट जाये
प्रतिपल कर्म ऐसा करते,
पूरी दुनिया देख रही
तेरे हृदय की विशालता
माँ-बाप, बीबी-बच्चों से
तूँ हो गया जुदा।
हे कोरोना…
पनपता विद्वेष जो जन-मन
विनीत भाव से भरते
राजा-रंक पर रख समभाव
देश का मान बढ़ा देते,
लड़ रहे अदृश्य शक्ति से
यह तुम भी जानते
मौत लील लेगी कब
यह नहीं जानता खुदा।
हे कोरोना….
तूँ सजग है रात-दिन
तो हम महफूज हैं रहते
फेंकते ईंट-पत्थर
जो तुझ पर हैं थूकते,
तूँ ईश्वर का रूप है
उन्हें कर देना क्षमा
तेरे नेक कर्मों से कोरोना
मुक्त होगी वसुधा।
हे कोरोना…
~ जय हिन्द सिंह ‘हिन्द’