मै इलाहाबाद का नैनी वाला नया पुल
भाई मेरी उदासी का हाल
क्या जाने कोई?
कभी सभी टहलते थे, मेरी छाती पर
अपनों के संग और अकेले भी
प्रेमी जोड़े इंतज़ार में करते हुए एक दूसरे की रति के लिए
छोटे बच्चे परिवार संग, पत्नियां अपने प्रिय अप्रिय पतियों को लेकर
देशी विदेशी पर्यटक
दिन रात सरपट दौड़ती हुई सस्ती मंहगी गाडियां
ऑटो चालक ई-रिक्शा टूरिस्ट बसें कारें
ना जाने क्या क्या?
कुछ चोर भी, डकैत भी, कुछ बलात्कारी लुटेरे भी
लेकिन
आज घड़ियाल वायरस कोरोना ने
मुझे बहुत अकेला कर दिया है
सुनसान वीरान हो गया हूं मैं
दुखों का पहाड़ है मुझ पर
रोऊं भी तो कैसे रोऊं
एकांत अकेला सा
इक मृत शरीर सा छाती लिए चिता बन गया हूं
~ इमरान सम्भलशाही