ओ प्यारी नर्स!
तुम देवी का रूप हो
नर सेवा में लीन
तुम अभी चुप हो
दिनरात मरीज़ो की
ऐसे करती सेवा
जैसे पूजा की धूप हो।
ओ प्यारी नर्स!
तूने मदर टेरेसा
बन जन्म लिया
मानवता को बचाने
को जो तूने प्रण किया
निज सुखों का त्याग कर
तूने हिंदू मुस्लिम की सेवा की
धर्म रूपी भेदभाव न कर
तूने सब को संदेश दिया।।
ओ प्यारी नर्स!
तुम कितनी अच्छी हो
दिल से तुम सच्ची हो
न पनपता है तुझमे
ऊँच नीच का भेदभाव
तुम ही मानवता की
प्रतीक हो ।
~ महेन्द्र परिहार “माही”