खतरे से दूरी मास्क जरूरी,
नहीं ये मजबूरी, जीवन के लिए जरूरी।
नहीं मिलती दवाई, संयम से इसकी विदाई।
अब तो समझो भाई, बिमारी ने रफ्तार बढाई।
घर में रहों सुरक्षित रहों,
खूद बचों, परिवार को बचाओं।
जीवन दो चार माह की नहीं,
मानों यह बात सबकी सही।
जीवन की धारा कभी सीधी तो कभी उल्टी है बहती,
धैर्य, संयम से रहे यही कहती।
कभी गले मिलना था शिष्टाचार
और अब है सिर्फ दूर रहने का उत्तम विचार।
सामाजिक दूरी बनाए, बीमारी दूर भगाए।
खतरे से दूरी मास्क है बहुत जरूरी।~ डॉ कन्हैयालाल गुप्त ‘किशन‘