मत आना घड़ियाल कोरोना

मत आना घड़ियाल कोरोना

घर में बैठे बैठे यूं ही
देह हमारा जकड़ गया है
थे कितने बलशाली बाहर
चोरी हमरी पकड़ गया है

सुख चैन की नींद गवाया
गाया गाना रटा रटाया
खटिया खींच खांच कर
देहरी पे ही राग लगाया

जैसे किशोर कुमार बने थे
गला हमारा अकड़ गया है

जितना मेरा दुलार भया है
बचपन सारा सिधार गया है
सुत सुत के काल बीत रहा
प्रभुजी का हज़ार दया है

बाहर भीतर घर से इक दम
चप्पल सारी रगड़ गया है

चाय समोसा फीक हो गए
आलू भात नमकीन हो गए
भौजी के ठक ठक से हरदम
मुर्गे सारे ज़हीन हो गए

मत आना घड़ियाल करोना
अब,विश्व सारा पिछड़ गया है

~ इमरान सम्भलशाही

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