Post category:COVID19 / कविताएं Post published:May 25, 2020 कमजोर न समझो इतना कमजोर नही समझो की सिर पैर सवारी हो जाए अनुशासन इतना मत लांघो की दुश्मन भारी हो जाए भूखे भी है प्यासें भी है बेबस है लाचार भी है पर इनको इतना मत रोको की ये मजदूर भी ब़ागी हो जाए ~ अमित अनमोल Tags: SWARACHIT863C, अमित अनमोल, कोरोना वायरस, तालाबंदी, मजदूर Read more articles Previous Postआत्मनिर्भरताNext Postआँखों में तो बस गाँव है Leave a Reply Cancel replyCommentEnter your name or username to comment Enter your email address to comment Enter your website URL (optional) Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment. The reCAPTCHA verification period has expired. Please reload the page. Δ You Might Also Like पैगाम February 29, 2020 राष्ट्रहित के लिए समर्पित January 26, 2020 एक मजदूर का प्रश्न May 18, 2020 नारी की कहानी May 29, 2020 मैं अभी हारा नहीं हूँ May 18, 2019 आओ जोत जलाएं April 5, 2020