वैश्विक मचा हुआ है त्राहिमाम
मानसिक रूप से न है आराम
फिर भी कुछ लोगों को
आ रही ख़ूब हँसी
जबकि इस भंयकर बीमारी ने
कितने परिवारों की छीनी है ख़ुशी
कुछ लोग मज़ाक कर रहे हैं
पर नहीं समझ पा रहे
इसकी भयावहता
कई हजारों को लील चुका है
ठप्प हुई जीवन की रफ़्तार
इंसान जा रहा है हार
फिर भी हम नहीं हो रहे सचेत
कर रहे लापरवाही
बंद न कर रहे आवाजाही
अरे! कुछ दिन मक्खन मलाई
न ही हम खाएँगे
सड़क पर तफ़री न करेंगे
तो न मर जाएंगे
जीवन बचेगा तो
फिर धूम मचाएँगे
मचे हाहाकार के अनुपात को
हम नहीं देख रहे हैं
घर से कुछ लोग
बेवजह बाहर निकल रहे हैं
कुछ दिन की ही बात है
फिर ख़ुशियों की आनी सौगात है
हमें रहना ही होगा सावधान
तभी बचेंगे हमारे प्राण
क्यों कि कोरोना धीरे धीरे
हो रहा बलवान
इसको नज़र अंदाज़ न कर इंसान
अकल्पनीय आए इस संकट को
हर ले तू भगवान!
हम बहुत हैं परेशान
हम करें बचाव पर चिंतन मनन
हम शपथ लेते हैं
हम रहेंगे सतर्क व सावधान!
पूरे क़ायनात को मिले जीवनदान
मनुज की न खत्म हो पहचान.
~ लाल देवेन्द्र कुमार श्रीवास्तव