परोपकार से बढ़कर कोई पुण्य नहीं है। आपने तो सुना ही होगा – “नेकी कर दरिया में डाल” और “परहित सरिस धर्म नहिं भाई, पर पीड़ा सम नहिं अधमाई”। अमित मिश्र की स्वरचित पंक्तियों में भी परोपकार की भावना को जागृत कर मानवता को मजबूती प्रदान करने का प्रयास किया गया है।
जिन्दगी में कुछ ऐसा काम कीजिए,
किसी के चेहरे पर मुस्कान दीजिए।
कुछ पल के लिए ही ये है जिदंगानी,
इन लम्हों में कुछ नेक काम कीजिए।किसी गिरते हुए को उठा लीजिए,
छोटे-बड़े सभी को सम्मान दीजिए।
क्या पता कौन सा पल आखिरी हो,
मरने से पहले अपना नाम कीजिए।हर पल बस सच का साथ दीजिए,
किसी के साथ न अन्याय कीजिए।
आप की जिंदगी खुद संभल जाएगी,
बूढ़ापे में माँ-बाप का साथ दीजिए।कर्ज अपने जल्द से उतार लीजिए,
फर्ज जीवन का अपने निभा दीजिए।
ऊपर जाकर सब हिसाब देना होगा,
जाने से पहले उसको चुका दीजिए।~ अमित मिश्र
हिन्दी बोल इंडिया के फेसबुक पेज़ पर भी कलमकार की इस प्रस्तुति को पोस्ट किया गया है।
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