सब कुछ एक व्यापार हैं सौदे को तैयार
सब के बीच दलाल है क्रय विक्रय को तैयार
सत्य बलि चढ़ जाता है असत्य खिलखिलाता है
बातों में उलझाता है आगे बढ़ जाता है
इस मंडी में भगवान बेचे जाते हैं
रूप अलग-अलग मगर बिक जाते हैं
इंसान भी बिकने को है तैयार बस
एक बोली का है इंतजार
जिस दिन वाजिब मोल आएगा
शायद बंदा भी बिक जाएगा
लोगों ने बोली भी बेची है
शहरों मे लोगों ने अपनी खोली भी बेची है
बची हुई कुछ मर्यादा है जो हमारी आशाएं हैं
आंसू भी बेचा है, मौका मिले तो शहर और संसार बेच
अब तो जिंदगी भी व्यापार प्रतीत होती है
और हर चीज बेचने और बिकने को प्रतीत होती है
आज चाइना ने मंडी में कोरोना को उतारा है
विश्व गुरु भारत को ललकारा है
चाइना कोरोना जटिल है बड़ा
मंडी में पड़ा आओ दे इसे मंडी में सड़ा
अगर ये बिक पड़ा तो यह सबके पीछे पड़ा
कोरोना से दो-दो हाथ करने को मैं भी खड़ा
आओ देखे इसका व्यापार है कितना बड़ा
कोरोना के आगे ज्ञान है खड़ा
क्या यह ज्ञान से बड़ा
आओ इसे दे मिटा नहीं तो कर देगा सब कुछ तबाह
हमने बनाई है दीवार डॉक्टरों की पहली कतार
पुलिस वाले भी हैं इसमें मददगार
वैज्ञानिक भी हैं तैयार
मोदी जी के हैं विचार
हमारे सबसे बड़े हथियार
लोगों का भी है साथ
करोना से कर ले दो दो हाथ।
सब कुछ एक व्यापार है सौदे को तैयार…!!
~ आमोद शुक्ल (प्रिंस)