नौकरी, गाड़ी, घर जैसे अनेक सपने हम खुली आँखों से देखते हैं। कभी-कभी लगता है कि ऐसे महंगे सपने पूरे नहीं होने वाले हैं, किंतु यदि मन में इच्छा शक्ति हो तो उन्हें सच करने में देर नहीं लगती। साकेत हिन्द की पंक्तियाँ इसी मुद्दे को संबोधित करती हैं क्योंकि जहाँ चाह है वहीं राह होती है।
नींद के झोंके में देखे सपनों को
हम भूल जाना पसंद करते हैं।
किंतु जीवन में बदलाव का सपना,
कुछ पाने और कर गुजरने का सपना,
उन्नति, शांति और खुशहाली का सपना
हमारी नींद ही दूर भगा देता है।ऐसे सपने पूरे करने में
बटुए के पैसे कम पड़ जाते हैं।
मंजिल से पहले न थमने वाले ही,
आत्मविश्वास और दृढ़-निश्चय की पूंजी,
त्याग और श्रम के साथ खर्च कर
अपने सपनों को खरीद पाते हैं।सबकी आँखों में हैं ऐसे महंगे सपने
किंतु, दाम कुछ लोग ही चुका पाते हैं।
हार मानकर यह मत सोचो,
अपने बस की बात नहीं है।
धैर्य रखो और कूच करो उनकी ओर,
सपने जो मात्र दो कदम दूर हैं।~ साकेत हिन्द
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