फादर्स डे के अवसर पर हिन्दी कलमकारों की कुछ कवितायें पढिए।
पिता धरती आकाश – शिवम झा (भारद्वाज)
पिता धरती है पिता आकाश
पिता ही आशाओं का प्रकाश
आगे बढ़े संतान हमारा
हर पिता करता है यही प्रयास
तपती झुलसती धूप में
पिता तपाता अपना देह
हर कठिनाइयों से जूझ जाता है
और नहीं जताता अपना स्नेह
हृदय हैं उसका कोमल सा
ऊपर से दिखता है कठोर
बड़ा छुपा रुस्तम है पिता मेरा
देख इसे होऊं भाव विभोर
पिता को श्रद्धांजलि ~ मंजू चौहान
मेरे पापा,
आप बहुत याद आते हो।
याद जब आपकी आती है,
हमअन्दर ही अन्दर रो लेते है,
अपने आँसुओ को,
सबसे छिपा लेते है।
जब रात अंधेरी आती है,
आपकी याद,
पापा बहुत मुझे आती है।
मन में खुशी की लहर हो या,
दुख की कोई लहर,
ढूंढती है मेरी आँखें,
सिर्फ आपको।
दिखते कभी नहीं,
बस आंसू आ जाते है,
मेरी इन आँखों मे।
तब सिर्फ,
आसमान में दिखाई आप देते हो।
याद वो सभी पल आते है,
जब आपके सामने,
मैं बेफिक्र होकर इस दुनिया में, रहती थी।
जो भी मेरे मन मे आता,
करती वही थी।
क्योंकि,
आपका साया था,
मेरे सर पर और हमेशा ध्यान रखोगे मेरा।
आज जब सोचती हूं,
उन पलों को,
तब सिर्फ पापा,
आप याद बहुत आते हो
मुझे याद है वो सारे,
आपके साथ बिताए हुए क्षण।
एक सूट मांगती थी,
आप चार लाकर देते थे।
मेरे एक समोसे की मांग के साथ,
रसगुल्ले-बर्फी अलग से लाते थे।
आप चुपके से,
रसोई में लाकर रख देते थे।
फिर कहते थे,
बच्चो जाओ, देखकर आओ,
कुछ रखा हुआ है क्या रसोई में?
आपके वो ग्यारह साल,
जब आप बीमार हुए,
छिन गए वो हमारे सुख के क्षण,
मम्मी व भाई सबके चेहरों पर थे, बस चिंता के भाव।
पर आप खाट पर लेटे हुए भी, मुस्करा देते थे।
और आपकी आंखें कहती कि, बच्चो चिंता मत करो।
अभी तो मैं हूं तुम्हारे लिए।
आज भी वो चेहरा याद आता है।
जब कोई मुश्किल आती है,
बस सोचती हूं,
कि काश ! आप बीमार न होते,
तो आप हमारे पास होते।
सच मे पापा
आपकी बहुत कमी लगती है।
यदि आप होते तो कुछ भी,
मैं मांग लेती आपसे।
क्योंकि जानती हूं कि आप,
कभी मुझे मना नही करते।
अपने आप समझ जाते मेरे मन की बात।
मन यही सोचा करता है,
आप क्यों चले गए पापा ?
हमे,इतनी जल्दी छोड़कर ..
जब जाती है नजर,
आसमान के सितारों पर,
तब पापा सच मे,
आपकी बहुत याद आती है।
पापा मेरे भोले भाले ~ पुजा कुमारी साह
पापा मेरे भोले भाले, करते है सब के रखवाले,
सूरज के जगने से भी पहले, उठ जाते है
वो रोज़ सवेरे! पापा मेरे भोले भाले ।
जीवन की गति को सार्थक करने में,
दिन को दिन, न रात समझते में,
वेदना की करुणा मेरे लिए सहते हो,
पापा मेरे भोले भाले।
नारियल जैसे कठोर ख़ुद को दिखलाते हो,
दिल फूलों सा कोमल, करुणा भाव छुपाते हो,
पापा मेरे भोले भाले।
वटवृक्ष का छांव हो, मेरे सर का ताज हो
मुश्किलें करते आसां हो, खुशियों का भंडार हो।
पाप मेरे भोले भाले।
धरती पर आप ईश्वर के अवतार हो,
आपकी सच्ची सेवा ही ईश्वर की भक्ति हैं।
पापा मेरे भोले भाले।
मैं कृति आपकी, आप मेरे रचनाकार हो,
आप से ही मेरा नाम, पूरा ब्रह्माण्ड में पहचान है।
पापा मेरे भोले भाले।
दुनियां का है बीज पिता,कर देते हर चीज आसाँ हो,
मेरे मन की शक्ति! आपके ही विकल्प की अभिव्यक्ति।
पापा मेरे भोले भाले।
पालनहार पिता ~ दीपिका आनंद
बचपन में उंगली पकड़कर,
चलना जिन्होंने सिखाया
लड़खड़ाते इन नन्हें कदमों को,
हर बार गिरने से बचाया।
मेरी हर इच्छा, हर जिद को,
सर आंखों पर सजाया
स्वयं को धूप में झुलसा दिया पर,
मुझे ठंडी छांव तले सुलाया
गम के अंधकार दिखाई ना दिए कभी,
कि आपने लौ बन कर खुद को जलाया
मेरे जीवन की नैया जब-जब तूफानों से घिरी,
आपने पतवार बन इसे किनारे लगाया
मुझे पतंग बनाकर स्वयं डोर बन गए,
ऊँचे आसमान में उड़ना सिखाया
खुद दलदल में फंसते रहे लेकिन,
मुझे कमल के फूल सा हर बार खिलाया
जीवन संघर्ष का पर्याय है,
आपने सदा मुझे यही बताया
अपने जिंदगी के हर मोड़ पर,
मैंने आपके अनुभवों को अपनाया
मैं जब जब हारी जिंदगी में,
आपने हर बार मेरा हौसला बढ़ाया
मुझे ना रुकने की सीख देकर,
आगे का रास्ता दिखाया।
मेरी हर छोटी सी जिद को,
आपने मेरा हक बताया
सम्मान और अधिकार के नाम पर,
आपने मुझे कभी नहीं बिसराया
अपनी नन्हीं सी गुड़िया को पाल पोस कर,
इतना बड़ा बनाया
उसके सपनों के दरवाजों के बंद पड़े तालों को,
अपनी मेहनत की चाबी से खुलवाया।
पिता के रूप में मैंने आपमें
ईश्वर के प्रतिबिंब को पाया
आपके जैसा दूसरा कोई नहीं
जिसने मुझ पर इतना प्रेम है बरसाया
फादर्स डे ~ अनुराग मिश्रा अनिल
थाम के उंगली जिसने,
पैरों पर खड़ा होना सिखलाया!
लेकर जिम्मेदारियों का बोझ सर पर,
धैर्य और प्यार का पाठ पढाया!
बच्चों की खुशियों के आगे,
अपनी खुशियों की जिसने गँवाया!
वो शख्स ज़हाँ में “पिता” कहलाया!
जैसे जैसे मेरी उम्र बढती जाये
खुद में पिता के अक्स को पाता हूँ
जब कभी भी भटकूँ राहें
नसीहतों से उनके सही राह पे आ जाता हूँ।
पिता भगवान होता है ~ दिनेश सिंह सेंगर
पिता से बढ़ के दुनिया में नहीं भगवान होता है
कृपा जिस पर पिता की हो वही धनवान होता है।
पिता के प्यार के आगे झुका परमात्मा देखो
कभी वो राम होता है कभी घनश्याम होता है।।
पिता के बिन तो जीवन की कल्पना हो नही सकती
पिता की यह कमी जीवन में पूरी हो नहीं सकती ।
कि धरती पर बिना बारिध कभी अंकुर नहींं जमता
तो माता भी पिता के बिन ये जीवन दे नहीं सकती।।
पिता की करले तू सेवा जो तीरथ द्वार होता है
पिता से ही तो जीवन का ये पूरा सार होता है।।
ये जीवन भी पिता की गोद में ही पार हो जाए
पिता के रूप में प्रभु का कोई अवतार होता है।।
न आदर हो जहां पितु का वो घर श्मशान होता है
पिता के पास जीवन का वो सारा ज्ञान होता है।
किसी मण्डप में जो इनकी चरण रज ही पहुंच जाए
वहीं तीरथ हैं दुनियां के वहीं भगवान होता है।।
पिता एक नायक ~ दिलवन्त कौर
हैं नतमस्तक हम सब अपने जनक पिता संरक्षक को
एक पुत्री का यह प्रयास,
हो अंगीकार कोरे कागज से जीवन को
आभार व्यक्त करते हुए
चरणों में सिर रखते हुए
हृदय कृतज्ञता जता रहा
पिता के समर्पण को प्रणाम करते हुए।।
उंगली पकड़कर जिसकी मैंने चलना सीखा
जिसकी आंखों में सदैव निश्चल प्रेम देखा
जो सूर्य की भांति तेजवान रहता है
आंच ना आने देता बच्चों पर
स्वयं हर दुख दर्द वह सहता है।
बच्चों से स्नेह अपार वह करता है
अथक परिश्रम दिनभर वह करता है
भविष्य बच्चों का सुरक्षित हो जाए
वर्तमान अपना खर्च वह करता है
पिता जब घर से बाहर निकलता है
कितनी दुविधाओं को सीने में लेकर चलता है
प्रत्येक पिता नहीं होता साधन संपन्न
ना जाने कैसे दो वक्त की रोटी संचय वह करता है
भांति भांति के लोगों से व्यवहार नित्य वह करता है
अपने सामर्थ्य से अधिक
परिवार के लिए साधन वह जुटाता
विकट परिस्थितियों से भी स्वयं ही लड़ जाता है
ना जाने कितनों के अहंकार का भोगी वह बनता
बच्चों के लिए सुखद भविष्य के सपने बुनता है
पिता हिमालय सा अटल, परिवार का सुरक्षा चक्र बन जाता है
सुरक्षा सुनिश्चित करता अपनों की, तभी संरक्षक वही कहलाता है
हृदय जनक का सागर की भांति
प्रत्येक आवश्यकता का पूरक है
साक्षात ईश्वर यही है धरती पर
मां की मांग का सिंदूर है।।
जिसके कंधों पर बैठ संसार के मेले देख चुके
जिसकी निगरानी में सपनों को पर् लगते देखे
अपने बच्चों की हर ज़िद पूरी जिसने की
शिक्षा के संग शिष्टाचार की भी कुंजी उसने दी
नसीब वाले होते हैं वो जिन्हें पिता का है साथ मिला
पिता के संरक्षण में जीवन जिनका कमल सा खिला।
ईश्वर का प्रतिबिंब पिता – डॉली सिंह
पिता कुटुंब की आस है।
पिता घर का प्रकाश है।।
पिता का आशीष सर पर।
एक सुखद एहसास है।।
जीवन के आधार पिता।
देते हैं संस्कार पिता।।
बच्चों के विश्वास पिता।
सुरक्षा का अहसास पिता।।
दुख में कभी आपा ना खोना।
सुख में संभल-२ कर चलना।।
जीवन का ये आदर्श पिता से।
सीखा है संघर्ष पिता से।।
पूरी हर ख्वाहिश पिता से।
अपनी हर फरमाइश पिता से।।
सुखद छत्र है कुटुंब पर पिता।
ईश्वर का प्रतिबिंब है पिता।।
पिता के हाईकू ~ प्रतिमा विश्वकर्मा
हे जन्मदाता
रग रग का नाता
भाग्य विधाता
सांस सांस में
मेरे जो है समाता
वो मेरे पापा
ऋण उनका
कौन है चुका पाता?
वो तो हैं पिता
परमेश्वर
साकार रूप पाता
आपमें पापा
घर आपसे
मंदिर कहलाता
सच है बाबा
दर्द जिनके
कभी न जुबां आता
होते वो पिता
पितृ दिवस
हर दिन मनाना
भूल न जाना
पापा बहुत याद आते है – प्रिया कसौधन
पापा कभी कभी बहुत याद आते है आप
मुझे नहीं लगता आप जैसा कोई है मेरे लिए
दूर रहकर भी हिम्मत दे जाते है आप
जब भी देखती हूं खुद के दिल में झांककर सबसे पहले आप नजर आते है
पापा कभी कभी बहुत याद आते है
दुनियां के इस भीड़ में जब भी अकेला महसूस करती हूं खुद को
सच कहूं पापा आपको सबसे करीब पाती हूं
जिन्दगी के इस दौर में हार हो या जीत हर पल साथ देने वाले इकलौते शक्स आपको पाती हूं
दुनियां कहती है मां से बढ़कर प्यार कहीं नहीं मिलता
लेकिन मैं जानती हूं पिता के प्यार का हुनर नहीं होता
हर रिश्ता प्यार जताता है पर आपका प्यार बिना बताएं दिल को छू जाता है
जिन्दगी के हर पल में आप हमारे यादों से कभी जुदा नहीं होते
खुशी हो या गम पापा आप हमेशा साथ रहते हो
पापा आज आप साथ होते तो मेरे हर दर्द को अपना बना लेते
कम पड़ती खुशियां तो अपनी भी मेरे हिस्से में डाल देते
पापा कभी कभी बहुत याद आते है
सच कहूं मुझे पापा का वो अंतिम पल याद आता है
जब उनकी आंखे बोल रही थी
उनको कहीं नहीं जाना है
उनको हम सबके संग और वक्त बिताना है
यूं अचानक हार्ड अटैक आना
और बेटी को पुकारना बिटिया पानी देना वो कैसे दर्द से तड़प रहे थे यही सोच मेरी आंखे भर आती है
पापा आपके ना होने से दिल बहुत उदास है,
हे ईश्वर ऐसी कौन सी जगह है जहां लोग चले जाने पर वापस नहीं आते
लाख कोशिश करके भी कहीं नजर नहीं आते
सच कहूं पापा कभी कभी बहुत याद आते है