फूल भी बोलते हैं, उनकी भावनाओं को जानने के लिए उनसे बातें करनी होतीं हैं और यह काम कवि को ही सूझता है। कलमकार रोहिणी दूबे ने पुष्पों की भावना इस कविता में वयक्त की है।
देखों न!
मैं कितनी प्यारी हूँ,
निहार तो लो मुझेमैं खिल गयी हूँ,
जरा चाह तो लो मुझेभौरें मेरी पंखुड़ियों पर बैठकर,
जरा आराम तो कर लोमेरे खुशबू को महसूस कर,
मुझसे प्यार तो कर लोमधुमक्खी मेरे कोमल पंखुड़ियों से,
मीठे शहद तो बना लेनापर अलग नहीं करना,
मेरे डाली के संग सेमैं झूमती हूँ अपनी डाली के संग,
हवाओं के झोंकों में।।~ रोहिणी दुबे