मैं तो चला था फ़क़त अपनी जिम्दारियों से लड़ने,
क्या पता था जिंदगी और मौत से लड़ना पड़ जायेगा,
कहता था जो अपनी जान से भी प्यारा मुझे,
वो एक बीमारी के चलते मेरी परछाईं से भी डर जाएगा,
पर मैं जानबूझ कर तो इस मैदान ए मौत में नही आया,
फिर वो क्या था जो मुझे खींच कर यहां तक ले आया,
कुछ गलतियां तो रही होंगी जो मुझे मरना पड़ जायेगा,
मैं तो चला था फ़क़त अपनी जिम्दारियों से लड़ने,
क्या पता था जिंदगी और मौत से लड़ना पड़ जायेगा,
वो आजकल कुछ सावधानियां बरतने को कहती थी,
घर से निकलता था तो रुमाल से मेरा मुँह ढकती थी,
मैं ही समझता था कि मेरे चेहरे का नूर छुप जाएगा,
मैं तो चला था फ़क़त अपनी जिम्दारियों से लड़ने,
क्या पता था जिंदगी और मौत से लड़ना पड़ जायेगा,
कहती थी जो अपनी जान से भी प्यारा मुझे,
वो एक बीमारी के चलते मेरी परछाईं से भी डर जाएगा।
~ विकास बागी