पहली मोहब्बत

पहले प्यार की यादें हृदय से नहीं मिटती हैं। जाने-अनजाने उसकी स्मृति हमारे मन को कुरेदती है। कलमकार तृप्ति मित्तल जी की इन पंक्तियों में पहली मोहब्बत का जिक्र हुआ है, आप भी पढें।

उफ्फ़ ये हँसी, ये शोखियां
ये चेहरे पर बिखरी जुल्फें
तू किसी शायर की खूबसूरत नज़्म तो नहीं!
उफ्फ़ ये सागर सी गहरी आँखें,
बेबाक लहरों सा झूमना तेरा,
तू किसी दिवाने का ख्वाब तो नहीं!

उफ्फ़ ये तेरी मदमस्त अदा, दिल को छू जाने की।
बिन बोले आँखों से, सब कुछ कह जाने की,
तू कहीं उर्दू की अनकही गज़ल तो नहीं!
उफ्फ़ दिलों को रोशन करता, उजला रूप तेरा।
मखमली ख्वाब दिखाती, सुनहरी धूप सी जुल्फें तेरी,
तू दर्द-ए-इश्क की दवा तो नहीं!

उफ्फ़ दबी सी मुस्कान लबों पर
ओस की बूंद ठहरी हो पखुंड़ी पर जैसे।
गजगामिनी सी मदहोश चाल तेरी
छलकता हो पैमाने से जाम जैसे,
तू एक अधूरी ख्वाहिश या अनदेखी
मोहब्बत तो नहीं।

~ डॉ. तृप्ति मित्तल

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