अन्नदाता

अन्नदाता

किसान हम सभी के अन्नदाता होते हैं, उन्हीं की मेहनत से अनाज हम तक भी पहुँचता है। सबके पेट के लिए अन्न उगानेवाले किसानों की आर्थिक स्थिति दयनीय है। कलमकार अतुल मौर्य ने अपनी कविता में किसान की व्यथा व्यक्त की है।

निवाला,
अमीरों की थाली का बन,
है अन्न वह,
कृषक के,
खून-पसीने से मिलकर,
भूमि से, उसका सीना चीर,
शस्य पौध बन,
अनाज का,
रूप है लेता,
धूप, गर्मी, वर्षा, जाड़े,
सहकर सब,
जो पिता-पालक,
अश्रु से अपने,
सिंचित भूमि है रोज करता,
तब जाकर कहीं,
कठिन परिश्रम यह उसका,
अन्न का,
है रूप धारण करता,
अन्नदाता है वह,
कृषक- इस नवयुग का,
जो स्वयं अन्न के बिना,
अपने प्राण- है त्याग देता।

~ अतुल कुमार मौर्य ‘एक अल्फाज’

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