ऐश्वर्य की आस में बस गए जो देश परदेस,
आपत्त काल में याद आया उन्हें निज देश।
मजबूरी ले गयी जिन्हें अपनी माटी से दूर
कोरोना के खौफ से घर चलने को मजबूर।
खाली हाथ आए घर से काम की तलाश में
आज फिर घर चले दो निवालों की आस में।
बेहतर कल की आस में किए घर से पलायन
न आश्रय न कहीं ठौर है घर दूर कई योजन।
चलता था जिनसे कार्य अहर्निश उद्योग का
चल रहे पैदल दिखा खौफ संक्रमण रोग का।
~ राज शर्मा
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