आलंबन विहीन मुस्कुराता दीपक है रंगमंच

कलमकार इमरान संभलशाही विश्व रंगमंच दिवस की शुभकामनाओं के साथ एक रचना इस मंच पर प्रस्तुत की है और बताते हैं कि रंगमंच आलंबन विहीन मुस्कुराता दीपक है।

चाय की बेशुमार प्यालियों के बीच
चाय की चुस्कियों के साथ
मूसलाधार ठहाके लगाने का
नाम ही रंगमंच है

सुख दुख की देवियों के नाम और
भरत मुनि के नाट्यशास्त्र लेकर
तीनों वेद का सार अंतिम वेद का नाम रंगमंच है

कल्पना में यथार्थ का समावेश
फैंटेसी में साम्यवाद का आवेश
सत्व के उद्रेक व समस्त स्थाई भावों का भाव
विभाव, अनुभाव, संचारी भावों के प्रभाव का नाम रंगमंच है

आदर्श में टेढ़ा मेढ़ा त्रिभुज
चतुर्भुज में खूबसूरत अंबुज
और गुण दोषों के समन्वय का नाम रंगमंच है

एक बच्चे की तोतली बोली से लेकर
आदम की भावी पीढ़ियों की जीवन वृत्ति व
औपान्यासिक इतिवृत्ती का नाम है रंगमंच
रंगमंच मां की शिक्षा है
रंगमंच गुरु की दीक्षा है

जीवन जीने की कला व
सुख दुख का मिलन और
जीने की शैली एवं
सहृदय दर्शकों की उत्सुकता का नाम रंगमंच है

रंगमंच गरीबी की वह
मनोदशा है
जो भूखा तो रहता है लेकिन
किसी के सामने हाथ नहीं फैलाता
बस दूसरों का पेट भरता हुआ
सदा आगे बढ़ता रहता है
और विश्व जगत में खुशियों को
बांटता रहता है

अंत में बस यूं समझिए
रंगमंच
एक ऐसा “दिया” है
जो सूखी छोटी बाती सहारे
लोगो को अपनी रोशनी से रोशन तो करता है
लेकिन शीशी के अंदर तेल न्यूनतम या बिल्कुल नहीं होता है

या कह लीजिए कि
“आलंबन विहीन मुस्कुराता दीपक है रंगमंच”

~ इमरान सम्भलशाही

27 March 2020: विश्व रंगमंच दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं


Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *


The reCAPTCHA verification period has expired. Please reload the page.