कलमकार देवेन्द्र पाल चाँदनी रात की एक मुलाकात को अपनी कलम से रेखांकित कर इस कविता में चित्रित करने का प्रयास किया है, आप भी पढें।
पलकों पर बिजली चमकेगी
चाँदनी रात मे बरसात होगी
हां यकीं है मुझको
जब मेरी तुझसे मुलाकात होगी
तू लाख छुपाना दिले हसी को
फिर भी चेहरे पर छलकेगी
मन ही मन हर्षित होगी
विस्तर पर करवट बदलेगी
तेरे इश्क की बदली उमड़-घुमड़
देवेन्द्र को रिझायेगी
हे नाथ! अभी बारिस कर दो
फिर ऐसी हसी चाँदनी रात न आयेगी
~ देवेन्द्र पाल