जय गणपति
हे उमापुत्र
शंकरप्रिय
गजानन,गणपति
हे विघ्नविनाश्क।
प्रथम पूज्य देव
मोदकप्रिय
एकदंत, दयावन्त
हे सिद्धिविनायक।
बुद्धि के दाता
मूषकप्रिय
महाबलेश्वर,महेश्वर
हे बुद्धिविधाता।
प्रथम लेखक
रमाप्रिय
विनायक, वरगणपति
हे देवांतकनाश्कारी
जय हो तुम्हारी।
जय मंगलमूर्ति, श्री गणेशा
जय मंगलमूर्ति …श्री गणेशा।
जय विघ्न विनाशक। हरो कष्ट कलेशा।।
संपूर्ण विश्व का उद्धार हो।
जीवन का आविर्भाव हो।
विपदा में दुनिया है सारी ।
बस तुम पर आस बंधी भारी।
अब कोरोना का संहार हो।
जीवन का नवनिर्माण हो ।
जय मंगलमूर्ति…. श्री गणेशा।
जय विघ्न विनाशक हरो कष्ट कलेशा।
सारी दुनिया थम सी गई है।
तेरी करुणा जम सी गई है।
संकट में शुभ और लाभ है।
व्यवसायों से लक्ष्मी थम सी गई है।
जय मंगलमूर्ति श्री गणेशा।
करो कृपा अब कल्याण हो।
दरिद्रता का कुछ समाधान हो।
रिद्धि-सिद्धि का विस्तार हो।
कोरोना का पातक काल हो।
जय मंगलमूर्ति …. श्री गणेशा।
जीवन का अब विकास हो।
चिंता का कुछ ह्रास हो।
शुभ काज का आविर्भाव हो।
नित नव नवीन संसार है।
जय मंगलमूर्ति …. श्री गणेशा।
गणपति वन्दना
पूर्ण भाव और भक्ति से, करूँ जप और ध्यान,
चहुँ ओर उल्लास से लें, सब गणपति का नाम।
आओ पधारो धाम हमारे, हे गणेश जी महाराज,
विनती बस अब करूँ यही, रुके न कोई काज।
भोग लगावो मोदक का, मूषक रखो साथ,
सुत तुम गौरा मैया के, रिद्धि सिद्धि के नाथ।
न मांगू धन दौलत मैं, शोहरत और आराम,
कृपा बनाना हे प्रभु, मेंहनत का दो वरदान।
भक्ति अपने भक्तों की, करना तुम स्वीकार,
पीड़ा में संसार है, कर दो हम सबकी नैया पार।
जय गणराज
जय गणराज! दयानिधे
गणपति तुम हो सबके प्यारे
शिव गौरा के राज दुलारे
सबके दिलो में बसने वाले
सबके संकट हरने वाले।
लड्डू मोदक तुमको है भाते
धुब घास तुमको है प्यारे
बुद्धी को तुम देने वाले
गणेश चतुर्थी तुम्हारी मनाते
गणपति बप्पा मोरय! के जयकारे लगाते।
रिद्धि सिद्धी के तुम हो दाता
हम सबके हो भाग्य विधाता
जो भी तुम्हारा ध्यान है धरता
हर दुःख विघ्न तु उनके हरता
उनको सदा तु ख़ुश है रखता।
नाश करना तु सबके अभिमान का
देना दान सबको तु ज्ञान का
मुश्किल में तु साथ निभाना
हम सबके तु घर में आना
जिसके भी तु घर में जाता
मंगल ही मंगल हो जाता ।
हे गणराज! दयानिधे
गणपति तुम हो सबके प्यारे
भोले भाले बप्पा हमारे
गणपति तुम हो सबके प्यारे।
गणेश वंदना
बिघ्न विनाशक, शंभु सुत, गणपती महराज!
सब देवों में श्रेष्ठ हैं, गौरी सुत गणराज!!
अबकी बार गणपति एेसा त्योहार कर दीजिये,
मानव हृदय में समरसता का संचार कर दीजिये!
गजानन करो आज एक छोटा सा ये भी काम,
बृद्ध माता पिता के बेटे में प्यार भर दीजिये!!
रिश्ते जो टूटते, छूटते धन की लोलुपता में,
एेसे मूढ, अधमों में विवेक, ग्यान भर दीजिये!
हैं जो सताते, निर्बलों, अबलाओं को दिनरात,
एेसे दुराचारी, अनाचारी में सदाचार भर दीजिये!!
राह चलते छेडते,करते माँ बहनो पर कुदृष्टीपात,
प्रभु एेसे व्याभिचारियों का सर्वनास कर दीजिये!!
जय गजानन
सबके हो तुम दुख निवारक,
प्रथम पूज्य और विघ्नहारक,
करते सबका कल्याण सदा,
दिलो पे सबके करते हो राज,
एकदन्त, विशेषता तुम्हारी,
तुम हो महान मूषक राज.
वक्रतुण्ड बन देते सबको,
जीवन जीने का ज्ञान,
लम्बोदर ने लिया है सबके,
कष्टों का संज्ञान..
भालचंद्र दर्शाते है,
रखो दूर दृष्टी,
विनायक ने संभाल
रखी है सारी सृष्टी,
भक्ति से तुम्हारी,
मिलती है शक्ति,
सदैव कृपा बनाये रखना
है प्रभु गणपति..
तुम्हारे सँग पधारे,
सदैव रिद्धि सिद्धि,
पूजन से तुम्हारे
बनी रहती समृद्धि..
तुमसे नहीं है,
और कोई दूजा,
करे सदैव हम
तुम्हारी पूजा.