हर सुबह बहुत ही खूबसूरत होती है, यह सभी के भीतर एक नई स्फूर्ति और ऊर्जा भर देता है। सुबह हमारे कार्यों को बेहतर बना देती है। कलमकार संजय वर्मा इसी सुबह इन पंक्तियों में रेखांकित की है।
सुप्रभात
अलविदा करता रात को
खिले कमल और
सूरज की किरणों की लालिमा
लगती चुनर पहनी हो
फिजाओं ने गुलाबी
खिलते कमल लगते
तालाब के नीर ने
लगाई हो जैसे
पैरों में महावार
भोर का तारा
छुप गया उषा के आँचल
पंछी कलरव,
माँ की मीठी पुकार
सच अब तो सुबह हो गई
श्रम के पांव चलने लगे
अपने निर्धारित लक्ष्य
और हर दिन की तरह
सूरज देता गया
धरा पर ऊर्जा~ संजय वर्मा “दृष्टि”