आज अगर अंधेरा है,
निश्चय उजाला भी आएगा।
दुःख की बादशाहत सदा न रहेगी,
वक्त सुखवाला भी आएगा।
फिर से किवाड़ खुलेंगे सारे ,
हृदय हर्ष-उमंग आएगा।
शमा भी रोशन होगी फिर से,
महफ़िल में रंग आएगा।
शायद तंग आ चुकी थी प्रकृति,
अब खुलकर अंगड़ाई लेने दो।
कुछ सबक सिखाने थे वक्त ने,
उसे सबक सिखा लेने दो।
~ शिवकुमार शर्मा