नए साल का शुभारंभ

नए साल का शुभारंभ

१. नया साल, नई उम्मीद ~ राजीव डोगरा

नया साल
नई उम्मीद लेकर आया है।
छोड़ चुके हैं जो
उनका हिसाब लेने आया है।
नया साल मां रणचंडी को
साथ लाया है,
उठाए खड्ग खप्पर
शत्रु का संहार करने आये है।
बीते हुए वक्त में
जो बन गए थे पराये
फिर से उनको
अपना बनाने आया है।
नया साल नई उम्मीद
नव उमंग नवीन उत्साह
साथ लेकर आया है।
नया साल महामारी से उठकर
नवीन पुलकित जीवन
साथ लेकर आया है।


२. जिंदगी में यह साल ~ प्रीति शर्मा “असीम”

यह साल बहुत ख़ास रहा
जिंदगी की कड़वी यादों में।
मीठी बातों का भी स्वाद रहा।
यह साल बहुत ख़ास रहा।
किन भरमों में जी रहे थे आज तक?
उनसे जब आमना -सामना हुआ|
क्या कहूं? जिंदगी में, इस साल।
तुज़र्बों का एक काफ़िला -सा रहा।

कुछ के चेहरे से नकली नकाब उतरे,
कुछ को छोड़कर, हर चेहरा दागदार रहा।।
कुदरत ने हर चेहरे पर मास्क लगाकर,
चेहरे की अहमियत का वो सबक दिया।
यह साल बहुत ख़ास रहा।

जहां कुछ जिंदगी की हकीकतें समझ गए।
किस दौड़ में जी रहे थे?
बंद घरों में करके कैद में रख दिए।

वहीं कुछ चेहरे दिल में सिमट गए।
जिंदगी बंद करती है एक दरवाजा,
तो कहीं कई दरवाजे खुल गए।
हर उस प्रेरणा का शुक्रिया
जिस ने जिंदा होने का,
अहसास दिला दिया।

जिंदगी की अहमियत का,
इस साल ने वो सबक दिया।
जो समझेंगे सालों को जी जाएंगे।
वरना हर साल में बस
सालों के कैलेंडर ही बदलते रह जाएंगे।

यह साल बहुत खास रहा।
मैं हारता हुआ भी हर बाज़ी मार गया।
जिंदगी का हर दिन अच्छा या बुरा,
हर अनुभव बहुत ही ख़ास रहा।
नये साल को सींचूगा इन अहसासों से।
जिंदगी को जीने के,
वे-मिसाल उमदा इन तरीको से।
यह साल बहुत ही ख़ास रहा।
जिंदगी की हकीकतों को
दिखाता बेमिसाल आईना रहा।


३. नया साल आया है ~ डॉ. मुश्ताक़ अहमद शाह

नया साल आया है
नए साल की खैर आमद में
इंतेज़ार तेरा है कि
नया साल आया है,
आ भी जाओ के फिर
दौरे जाम आया है,
वाइज़ सभी चल दिये
जानिब ए मैखाना,
हमको मगर बस तेरा
ही ख्याल आया है,
सजने लगी महफ़िलें
के नया साल आया है,
बता हमारे लिए भी क्या
कोई इंतेज़ाम आया है?
खुशियों में डूबा डूबा हर
शख़्श नज़र आता है,
क्यों न हो उम्मीदों का
जो नया साल आया है,
हर कोई मुब्तिला है यहां
नए साल की खैर आमद में,
वो भी आ गए मुश्ताक़,
ख़्याल मेरा उनको आया है।


४. २०२० ~ स्नेहा धनोदकर

होने आया साल का अंत
कुछ बुरे से हाल का अंत

लगा था लाएगा खुशियाँ
ये तो सँग अपने लें गया
लेकर लोगों की जाने
गम कितने दे ये गया

छोटा सा वायरस ये
एक लें आया संग मे
डाल दिया खलल
इसने सबके रंग मे

कर सबको कैद
अपने ही घरो मे
बंध कर रह गये
सब अनजान डरो मे

खाने के भीं पड़े लाले
कई लोग गये
नौकरी से निकाले
सबकुछ हो गया बंद
हर जगह लग गये ताले

होने आया खत्म ये साल
फिर भीं अभी वही है हाल
जाने कब जायेगा ये वायरस
जाने क्या लाएगा नया साल


५. गुजर गया यह साल ~ वन्दना सिंह

गुजर गया यह साल तो कमाल क्या कहे
दे गया मिशाल वह तो मिशाल क्या कहें
कितना भी सीख दे दे यह कोई सीखता नही
और मच गया बवाल तो बवाल क्या करें।
हम तो जख्म से यूं ही खेलते रहते हैं
कोई खुरेदे जख्म तो मलाल क्या करें
हम खुदा नही की सब जानते हैं हम
पर समझ रहें हैं जो तो सवाल क्या करें
एक भींगा हुआ रूमाल जेब में है पड़ा
अब मैं हूँ बदहाल तो खयाल क्या करें
और मच गया बवाल तो बवाल क्या करें।
आंधी तूफानों की कमी नही है जिन्दगी में
एक और जलजला आये तो हवाल क्या करें
तिनकों से बनाते हैं जो चिड़ियां घोसले
टूटे फूटे खाट का रोना क्या, क्या मरें।
गुजर गया यह साल तो कमाल क्या कहे।


६. आओ स्वागत करे नववर्ष का ~ ललिता पाण्डेय

आओ स्वागत करे नव वर्ष का
हर्ष और उल्लास के साथ
छोड़ कड़वी यादें
आगे बड़े एक नई सोच के साथ

हर झरोखे में साज हो
प्रकृति में पक्षियों का गान हो
कृषि और कृषक का मान हो
वीरों का सम्मान हो
नारी का उत्थान हो
हर जन-मानस का विकास हो।

महाभाग हो हर प्राणी
महाधन से परिपूर्ण हो
महाभिमान से दूर रहे
महातप में लीन हो
दृढ़संकल्प हो हर युवा
महासुख से परिपूर्ण हो।
नव ऊर्जा का संचार हो
वाणी में माँ सरस्वती का वास हो।

हर धर्म का उत्थान हो
महिमण्डल का अभिमान हो
ज्ञान का सागर बहे
नित नवीन आविष्कार हो।
श्री का आशीर्वाद हो
कर्मयोगी सब बने
रोगों का विनाश हो
हर घर में सुख-सम्पदा का वास हो

महाउन्नि हो सबकी
नव वंदना,नव याचना हो
इस नववर्ष में कुछ खास हो
हर समस्या का समाधान हो
एक नई उमंग के साथ
इस वर्ष आगाज हो।


७. जल्दी जाओ 2020 ~ तनुजा जोशी

किया था बड़े अरमानों से स्वागत
अब उन्नीस पर बीस पसर रहा है,
अब हाथ उठे करने इबादत
जान बीस इंसानों को कुतर रहा है।

डरी जिंदगी नहीं भा रही
दो हजार बीस कर गया चार सौबीसी,
सांसों की डोर थमती जा रही
बीस बंद कर गया सबकी बत्तीसी।

देख बिगड़ते यहाँ ये हालात
बेवफा बीस जिगर से उतर रहा है,
जल्दी छंटे धुंध भरी काली रात
जग क़ा जन जन फरियाद कर रहा है।

कैसे मनाये दिसंबर इकत्तीस का जश्न?
कैसे कहें हैप्पी न्यू ईयर?
जब ‘वायरस कब भागोगे?’ का प्रश्न,
बरसा रहा दिलो दिमाग में कहर।

भले ही स्वागत का ना रहे उत्साह
पर आगत तो लाता सदा एक आस,
जल्द जाओ बीस बहुत कर चुके तबाह
वादा कर इक्कीस में ना लोगे श्वास।


८. साल भर की पीर ~ पूजा भारद्वाज

साल भर की पीर,साल भर की टीस
उत्साह और उमंग से भरी थी ये साल
पर एक अदृश्य बीमारी ने दी दस्तक
और बहुत कष्टों में उलझाया सबको
मार्च के महीने से हो गया सब का बुरा हाल

ना सोचने का समय मिला ना समझने का
कुछ अपने अपनों से अलग हो गए
उनको कंधा देने और अंतिम बार देखने
का भी हक छीन लिया इस साल ने

शूल सी चुभी ये साल भर की टीस
छलनी कर गयी सब के दिल और आंखों में दे गई नीर
काल के घर में कैद हो गया सारा जहान
कई दर्द भरी विपदाओं से घिर गया सारा संसार

इस अबूझ बीमारी ने ज़िन्दगी की डोर डुबाई
मजदूरों और गरीबों ने पलायन की राह अपनाई
कैसी यह राह कैसी यह पीर हर दिल में समाई
जाने कितने लोगों ने अपनी जान गंवाई।

पर इस साल ने एक नई दुनिया भी दिखाई
कम पैसों में जीना सीखा, दूसरों के लिए भी करना सीखा
कुछ अपनों से मिलवाया, गांवों से नाता जुड़वाया
दे गई ये बरस कुछ नई नई सीख
साल भर की सीख साल भर की टीस

डर और दहशत में समाई ये साल
हर चेहरे को ढक कर रखने को मजबूर कर गई ये साल
अब ना सही जाए ये साल अब जल्दी से जाए ये साल
साथ ले जाए ये साल भर की पीर और इस साल की टीस।


९. नव वर्ष उसी को माना जाए ~ विपुल मिश्रा

एक नया हो गगन यहां जब,
नव वर्ष उसी को माना जाय।
एक नया हो चमन यहां जब,
नव वर्ष उसी को माना जाय।

यह सर्दी की शीतलता,
जो प्रकृति को शुष्क बनाती है।
छोड़ इसे मन में वसंत का,
नया सवेरा पाला जाय।
एक नया हो चमन यहां जब,
नव वर्ष उसी को माना जाए।

खिले क्यारी में फूल हर तरफ,
वृक्षों पर पत्ते नए लहराते हों।
श्रृंगार हो जब पूरी धरती का,
इसे दुल्हन सी जाना जाय।
एक नया हो चमन यहां जब,
नव वर्ष उसी को माना जाय।

नए वस्त्र को ओढ़ के धरती,
नयी ~ नयी मुस्कान भरे।
सरसों क खेेत चहक उठे,
फूलों से सुगंध बरसाया जाय।
एक नया हो चमन यहां जब,
नव वर्ष उसी को माना जाए।

खिले पुष्प हर कली खिले,
लाल खिले कहीं पीली खिले।
जब रंगीन हो उपवन इस धरती का,
तब मंगल गीत गाया जाय।
एक नया हो चमन यहां जब,
नव वर्ष उसी को माना जाए।

सूर्य व्योम में बढ़ता जाए,
धरती पर दिनमान बढ़े।
चारों ओर नयापन में,
हर एक निराशा टाला जाय।
एक नया हो चमन यहां जब,
नव वर्ष उसी को माना जाय।

नया प्रेम छलकाया जाय,
राग वसंती गाया जाय।
जब धारा सजेगी दुल्हन सी,
नव वर्ष तभी मनाया जाय।


१०. सुना है कल नया साल आ जायेगा ~ देवेन्द्र पाल

सुना है कल साल बदल जायेगा
मगर क्या मौसम ए हालात बदल पायेगा?
बादल होंगे, कोहरा होगा या भास्कर मुस्करायेगा?
कल कौन कहां होगा, कौन खुशियां मनायेगा?

क्या घूम पायेंगी बेटियां रोड पर निर्भय?
क्या भेड़िया अपनी चाल बदल पायेगा?
क्या सत्य होंगे नेताओं के सारे वादे ?
क्या नया भारत बन पायेगा ?

क्या किसानों के भी आयेंगे अच्छे दिन?
क्या मजलूमों को भी न्याय मिल पायेगा?
क्या इसी तरह होगी किसानों की आय दूनी?
लगता है खेतों का भी निजीकरण कराया जायेगा

क्या बंद होंगे अपने हक के धरने?
क्या युवाओं को रोजगार मिल पायेगा?
क्या बंद होंगे जाति, मज़हब के उपद्रव?
क्या भारत में अमनो चैन आ पायेगा?
क्या कर ल़ोगे ऐसे प्रश्न करके ‘देव’
ये मोदी का भारत है नया इतिहास रच कर जायेगा।


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SWARACHIT2250Aनया साल, नई उम्मीद
SWARACHIT2250Bजिंदगी में यह साल
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20MON00926२०२०
20MON00932गुजर गया यह साल
20WED00945आओ स्वागत करे नववर्ष का
SWARACHIT2250Kजल्दी जाओ 2020
SWARACHIT2250Lसाल भर की पीर
SWARACHIT2250Mनव वर्ष उसी को माना जाए
SWARACHIT2250Nसुना है कल नया साल आ जायेगा

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