मानवीय व्यवहार और संवेदनाओं को अपनी कविता में शामिल कर कलमकार ऋतिक कुमार वर्मा पूछतें हैं कि क्या आपने कभी सोचा है? पारिवारिक मूल्यों का जीवन में बहुत बड़ा महत्व होता है।
जिसने तुझे
पाल-पोश कर बड़ा किया
जिसने तुझे चलना सिखायाचेहरे पर नन्ही मुस्कान दी
अपने पैरों पर खड़ा कियाक़भी सोचा है तुमनें
आज तेरे यूँ अचानक चले जाने से
उस माँ-बाप पर क्या गुज़री होगी-२जिसने तुझे
बड़े भाई का प्यार दिया
तेरे छोटे होने का दुलार दियाखुशियां हज़ार दिया व
हौसलों का अम्बार दियाक़भी सोचा है तुमनें
आज तेरे यूँ अचानक चले जाने से
उस बड़े भाई पर क्या गुज़री होगी-२जिसने तुझे
नो माह अपने पेट में पाला
गहरी पीड़ा सहि, तुझे जन्म दियाअपनी कोख़ की दूध पिलाई
माँ कहना सिखाया
अपनी ममता का दुलार दियाक़भी सोचा है तुमनें
आज तेरे यूँ अचानक चले जाने से
उस प्यारी माँ पर क्या गुज़री होगी-२जिसने तुझे
तेरी हर ख़्वाहिश को बिना सोचें-समझें
तेरे रूठने से पहले उसे पूरा कियाजिसने तुझे
जीवन की ऊँच-नीच
हर सही-ग़लत का ज्ञान दियाक़भी सोचा है तुमनें
आज तेरे यूँ अचानक चले जाने से,
उस मजबूर बाप पर क्या गुज़री होगी-२~ ऋतिक कुमार वर्मा