कलमकार मुकेश ऋषि वर्मा हर क्षण को जीने की राय देते हैं। यथार्थ और जीवन की कुछ सच्चाई को प्रस्तुत करतीं हुईं पंक्तियाँ पढें।
गुजर रहा वक़्त पल-पल,
आओ साथी जी लें जीभर हर क्षण।
रुठने-मनाने का दौर चलता रहेगा,
सजालें अपने खँडहर का आँगन।।अगर तू प्यास गहरी बने तो,
मैं बरस जाऊँ बनकर सावन।
किये हैं कर्म जिंदगी भर कैसे-कैसे?
आ अब बैठकर देखें दरपन।।हँसते-रोते काट दी जिंदगी,
परन्तु खत्म न हुई आज भी उलझन।
हम इतने भी बुरे न थे,
लेकिन बन गये हजार दुश्मन।।भोलेपन की बात न कीजिये,
लोग हमें घिसते रहे बनाके चंदन।
अब सोचते हैं एकांत में,
कितना निस्वार्थी-निर्मल था बचपन।।दुनियाभर के पचडों-लफड़ों में फसा
हमारा सियाना ये पचपन।
ऐ साथी थाम लो हाथ हमारा
मिला लो दिल की दिल से धड़कन।।~ मुकेश कुमार ऋषि वर्मा
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