सुला दो न माँ

बहुत भूख लगती है कभी तो
प्यार से अब भी तुम खिला दो न माँ

ख़ुद बच्चों की माँ हूँ फिर भी
तुम्हारी ममता की छाँव तलाशती हूँ
उस एहसास को तुम फिर से जगा दो न माँ

बीमार होने पर पहले की तरह
मेरे सिरहाने तुम बैठकर
माँ का प्यार मुझपर भी लूटा दो न माँ

मैं अब भी वही नन्हीं बच्ची हूँ
जिसे वक़्त के थपेडों ने बदल दिया
तुम फिर से वही पुराना बचपन लौटा दो न माँ

जो भी ग़लती हुई मुझसे
आज भी छोटी बच्ची समझकर
इस बिटिया को माफ़ कर दो न माँ

प्यार से गले लगाकर मैं तेरे साथ हूँ
यह कहकर मेरा साहस बढ़ा दो न माँ

अपनी इस नटखट बच्ची को
गोदी में एक बार तो सुला दो न माँ।

~ डॉ. विभाषा मिश्र

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