वो तो लहरा के जुल्फें चली ही गई।
दिल में सावन की घटा मेरे छाने लगी।।
उसने हँस कर जब देखा मेरी तरफ।
टूटे दिल में मोहब्बत फिर आने लगी।।
वो हँसती थी जब भी शरमाती हुई।
ऐसे लगता था चमेली खिलने लगी।।
वो चलती थी जब भी इठलाती हुई।
दिल-ए-वन में मोरनी नाचने लगी।।
जब चलती थी पायल छनकाती हुई।
मेरे कानों में मधुर सी धुन छाने लगी।।
उसने चुपके से जब देखा मेरी तरफ।
मेरी नज़रें मिलीं तो वो सरमाने लगी।।
मैं घायल पडा था मोहब्बत की राहों में।
घाव मेरे देख कर वो आँसू बहाने लगी।।
परियों से भी सुंदर थी हर उसकी अदा।
लाख भूलूँ उसे फिर भी याद आने लगी।।
~ अमित मिश्रा